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मौलाना सब्बीर को जेल से पुलिसिया साख रसातल में राजनीतिक शाजिश की दिख रही झलक,सीबीआई जांच से ही खुलेंगी पर्तें अन्यथा इससे भी भयानक साजिशों की आऐगी बाढ

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ब्यूरो रिपोर्ट,इंडिया टाईम्स न्यूज एजेंसी
सिद्धार्थ नगर(24/07/2025)
सूत्रों से ज्ञात हुआ कि रंगदारी न देने पर मुस्लिम कॉलेज प्रबंधक पर मनगढ़ंत धर्म परिवर्तन के आरोप पर केस दर्ज जबकि पुलिस को आरोपों की जांच के पश्चात ही एफआईआर दर्ज करना चाहिए था और यदि एफआईआर दर्ज भी हो गया था तो तत्काल गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था आरोपी को भी साक्ष्य आदि देने का मौका मिलना चाहिए था जबकि न्याय के इब सिद्धांत का भी पालन नहीं किया गया है।

पुलिस को बाखूबी मालूम था कि प्रकरण धर्म से जुडा हुआ है तो इसमें आवाजें उठेंगी लेकिन धैर्य के बाजाए त्वरित एक्सन के फार्मूले के तहत काम किया गया जिससे पुलिस की कार्रवाई ही संदेह के घेरे मे आ गई और तरह तरह का आरोप पुलिस पर लगाया जा रहा है।

पुलिस ने प्रबंधक अलफारुक इंटर कालेज शब्बीर अहमद को बहुत ही तत्परता के साथ जेल भेज दिया जो कि एक सम्मानित व्यक्ति थे और कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था यही काम पुलिस सम्मान के साथ भी कर सकती थी जिससे की लोगो का पुलिस पर भरोसा बना रहता लेकिन ऐसा न करके पुलिस ने अपने इकबाल को दांव पर लगा दिया है और साख को गंवा दिया है।

नेपाल बॉर्डर से सटे सिद्धार्थनगर जिले में कथित धर्मांतरण की हैरान करने वाली घटना सामने आई है। आरोप लगाने वाले शख्स की आपराधिक पृष्टभूमि होने के बावजूद पुलिस ने पूरी तरह से जांच के बगैर कथित आरोपी मौलाना को गिरफ्तार कर लिया। सबकुछ जानते हुए एक बेबुनियाद आरोप को सही माना गया आरोपी स्वयं कह रहा है कि घटना पांच वर्ष पहले की है और जिस शपथपत्र को दिखा रहा है उसकी भी जांच नही की गई है जिससे कि केस मे कुछ रोशनी आ सके पूर्व में सूत्रों से पता चला है कि शिकायतकर्ता आरटीआई भी लगाया था और विद्यालय में अध्यापन कार्य भी किया था इसको भी नजरंदाज कर दिया गया।

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है,जहां एक कॉलेज प्रबंधक पर एक शख्स ने पांच वर्ष पूर्व जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगाए हैं।इसकी सूचना मिलते ही अधिकारियों में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में कॉलेज प्रबंधक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पुलिस को नियमों के तहत कार्रवाई करना होता है लेकिन वही नियम आरोपी को बेकसूर भी साबित करते हैं इसको नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के इटवा तहसील स्थित अल फारूक इंटर कॉलेज का है।कॉलेज के प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद को पुलिस ने पांच वर्ष पूर्व धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।मौलाना शब्बीर अहमद पर इटावा क्षेत्र के रहने वाले अखंड प्रताप सिंह नाम के शख्स ने जबरन पांच वर्ष पूर्व धर्म परिवर्तन का आरोप लगाते हुए थाने में तहरीर दी थी।

आरोप लगाने वाले शख्श ने क्या कहा?
मौलाना पर आरोप लगाने वाले अखंड प्रताप का कहना है कि वह साल 202021 में बेरोजागर था।अलफारुक इंटर कॉलेज में बाबू की नौकरी के लिए गया था,उसे नौकरी भी मिल गई।अखंड प्रताप ने आरोप लगाया कि कुछ समय बाद स्कूल के प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद ने उससे एग्रीमेंट के नाम पर एक सादे एफिडेविट पर दस्तखत करवाए।इसके बाद,उन पर धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनने का दबाव डाला गया।एक शिक्षित व्यक्ति कह रहा है कि सादे कागज पर हस्ताक्षर कराया गया और वह कर भी दिए और बाद मे कह रहे हैं कि एग्रीमेंट बनवाया गया तो उसमें लिखित वाक्यों पर नजर गई होगी और हस्ताक्षर बनानें के पांच साल बाद शिकायत की जाती है और उस पर कार्रवाई भी की जाती है मौखिक कथन है कि धर्म परिवर्तन कराने के लिए कहा गया लेकिन हुआ नहीं और पांच वर्ष बाद भी अखंड प्रताप सिंह के नाम से जानें जाते रहे और सभी अभिलेखों में भी यहीं नाम अंकित पाया जाता रहा तो परिवर्तन कहां हुआ केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से परिवर्तित दिखाया गया और एक नोटरी दिखाकर एफआईआर दर्ज कराया गया जो कि कल्पना से परे है।

अखंड प्रताप ने आरोप लगाया कि मौलाना ने उसे लाखों रुपये देने का लालच दिया और अरब देशों में किसी शख्स से बात भी कराई।वह किसी तरह वहां से भाग निकला। अखंड का दावा है कि एफिडेविट के जरिये उसका नाम बदलकर “इमरान खान” कर दिया गया था,जिसकी कॉपी उसके पास मौजूद है।उसने कहा कि छांगुर बाबा की गिरफ्तारी को देखर मैंने भी मीडिया, मुख्यमंत्री और शासन प्रशासन से शिकायत की है।नाम इमरान खान रखा गया और यदि छांगुर प्रकरण नहीं होता तो शायद ऐ शिकायत भी नहीं करते इनके कथनो से यही प्रतीत होता है कि बहती गंगा मे हाथ धोनें का मौका मिला तो कैसे गंवाते और आर्थिक तंगहाली से निकलने का एक शार्टकट मार्ग मिल गया। परिवार के लोग तो पीड़ित थे ही और अब एक शिक्षा के मंदिर के जलते दिए को बुझाने की नापाक शाजिस रची गई है जिसमें नेताओं की प्रमुख भूमिका दिखाई पड रहीं हैं और वोट बैंक के लिए एक दूसरे के रहनुमा बनने की कोशिश कर रहे हैं।

शिक्षकों ने आरोपों को बताया बेबुनियाद-
स्कूल से जुड़े कई हिंदू और मुस्लिम शिक्षकों ने इन आरोपों को पूरी तरह से झूठा और बेबुनियाद बताया है। शिक्षकों नें कहा कि अल फारूक इंटर कॉलेज 1992 से संचालित है और यहां सभी धर्मों के लोग काम करते हैं। स्कूल के एक शिक्षक ने बताया कि वह इस कॉलेज में करीब 30 सालों से पढ़ाते हैं और यहां 2700 से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।इन बच्चों को पढ़ाने और उनकी देखभाल के लिए 200 से ज्यादा स्टाफ तैनात है,जिसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग हैं,इसके बावजूद इस तरह का अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है।आईना तो वहा के स्टाफ ने दिखा दिया है लेकिन इस आईने में कोई अपना चेहरा नहीं देखना चाहता है क्योंकि सभी लोग नंगे नजर आते हैं।

विद्यालय में अध्यापन कार्य करनें वाले या अध्ययन करनें वाले किसी ने भी आज तक एक भी आरोप नहीं लगाया कि धर्म परिवर्तन कराने जैसी कोई सोच भी वहा पर है लेकिन कुछ दिनों के कार्यकाल मे अखंड प्रताप सिंह ने एक ऐसा आरोप मढ दिया जो कि कल्पना से परे है और बेबुनियाद है सबसे हैरतअंगेज बात यह है कि आंख बंद करके पुलिस ने भी विश्वास कर लिया है और पुलिस की इस लापरवाही का परिणाम है कि पुलिस की साख का बट्टा लग गया है और अविश्वास की खाई गहरी हो गई है।न्याय के लिए लोग कानून का दरवाजा खटखटाने हैं और जब उसी दरवाजे पर न्याया नही मिलता है तब लोगों का विश्वास क्षीण हो जाता है।

अल फारूक इंटर कॉलज पर 1997 से पढ़ा रहा हूं प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद हम लोगों के सुख-दुख में हमेशा शामिल रहते हैं।प्रबंधक पर लगे धर्मांतरण के आरोप के सवाल पर राकेश चंद्र ने बताया कि यह आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं।इतने सालों की सर्विस के दौरान उन्हें कभी इस तरह का कोई मामला नहीं देखा-राकेश चंद्र,शिक्षक अल फारुक इंटर कॉलेज

कॉलेज में लेक्चरर के पद पर तैनात हूं आरोप झूठा और मनगढंत हैं पैसा ही आरोपों की जड।बीते 15 महीने से यहां नौकरी कर रहे हैं,लेकिन कभी किसी ने धर्मांतरण के लिए कोई लालच नहीं दिया।उन्होंने बताया कि इस कॉलेज में नौकरी उन्हें उनकी योग्यता की वजह से मिली है।हिंदूओं के धर्मांतरण के आरोप पूरी तरह से गलत हैं-इंद्र प्रकाश चौधरी, लेक्चर अलफारुक इंटर कालेज

कॉलेज के प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद पर आरोप लगाने वाले अखंड प्रताप के बारे जांच पड़ताल करने पर कई हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं।बताया जा रहा है कि वह पहले भी इस तरह की फर्जीवाडे़ में शामिल था। अखंड प्रताप ने अपने परिवार के लोगों के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करा चुका है,पुलिस जांच में यह फर्जी पाया गया था।

‘बदचलन और अपराधी किस्म का शख्स’है उसके क्रियाकलाप स्वयं लिख रहे हैं उसकी चरित्र पंजिका लेकिन उसमें लिखित वाक्यों को पढ़ने और समझने में पुलिस प्रशासन कैसे चूक गए यह सबसे गंभीर प्रकरण है।
इटावा सीओ की जांच में पिता उमेश प्रताप ने अपने इकलौते बेटे अखंड प्रताप सिंह से जान का खतरा बताया था।उमेश प्रताप ने बताया पुलिस को बताया कि अखंड प्रताप सिंह बदचलन और अपराधी किस्म का शख्स है। वह करीब दो सालों से बाहर रहा रहा था।वह लगातार जान से मारने की धमकी दे रहा था और डरा धमका कर तीन बीघे जमीन बेचवा दी।पिता के आरोप ही काफी उसके बनावटी तहरीर को समझने के लिए एक पिता अपनें बेटे को ऐसे शब्दों से कभी नहीं नवाजता लेकिन जब परिस्थितियां विवश कर देती है तभी कोई बाप अपने पुत्र को गलत कहता है।जो अपने पिता और परिवार को नहीं छोड़ा उसके लिए मौलाना सब्बीर क्या चीज़ हैं?पिता से डरा धमकाकर जमीन बेचवा लिया और पिता स्वयं अपनें जान का खतरा बता रहा है तो इसके आगे कुछ और कहनें की जरूरत नहीं रह जाती है और पुलिस गलत को गलत नहीं कहती है इसके पीछे राजनीतिक शाजिश प्रमुख कारण हैं नेता हमेशा आग को हवा देते रहते हैं और जाति की आग में ही उनकी फसल उगती है इसीलिए लोगों को नेताओं के चक्कर में न पड़कर कानून पर विश्वास करना चाहिए यहीं से न्याय मिलेगा न कि नेता का दरवाजा खटखटाया से न्याय मिलेगा।

पूर्व सीओ की रिपोर्ट बयां करती दास्तानें साज़िश –
साल 2020 में इटावा सीओ श्रीयश त्रिपाठी की रिपोर्ट के मुताबिक,पिता उमेश प्रताप ने अपने बेटे अखंड प्रताप पर जमीन बेचकर मिले पैसों को शराब पीने और गलत कामों में इस्तेमाल करने का दावा किया था।उन्होंने अखंड प्रताप से जान का खतरा बताते हुए उसे 15 मई 2020 में संपत्ति से बेदखल करने का एक समाचार पत्र में गजट भी छपवाया था।इतने घिनौनें क्रियाकलाप करनें वाला व्यक्ति एक पाक साफ मौलाना पर धर्मांतरण का गंभीर मनगढ़ंत आरोप लगाता है तो समझा जा सकता है कि आरोप की पटकथा कही और से लिखी गई है और वहा केवल एक प्यादा है बस, समाचार पत्र में गजट करवाकर बेदखल करने जैसी बातें प्रकाश में आने के बाद भी कानून को नहीं दिखाई पडता है कि आखिर शाजिश रची क्यों गई है?

‘डिमांड पूरी न होने पर लगाए धर्मांतरण के आरोप’
वहीं,इस घटना से पहले लंबे समय से अखंड प्रताप सिंह, कॉलेज प्रबंधक मौलाना शब्बीर से अवैध पैसों की डिमांड कर रहा था ऐसा सूत्रों से पता चला है।मौलाना ने जब अखंड प्रताप की कथित अवैध मांगों को पूरा करने से इंकार कर दिया तो उसने आरटीआई के जरिये कॉलेज के बारे में शिकायत दर्ज कराई आरटीआई में जब कुछ गैर कानूनी नहीं निकला तो वह काफी दिनों तक खामोश रहा।एक के बाद एक साज़िश पहले पैसा की डिमांड और आरटीआई फिर धर्म परिवर्तन जैसे गंभीर आरोप लगाया गया और वह इसमें सफल भी हो गया।ऐसा भी संभव है कि वह मौलाना से अधिक रकम भी लिया होगा और उसको न देना पडे इसलिए तरह तरह की साजिशें रचता रहा।

आरोपी मौलाना के रिश्तेदार ने प्रशासन के डर से नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अखंड प्रताप ने अल फारूक इंटर कॉलेज के प्रबंधक मौलाना शब्बीर अहमद को देख लेने की धमकी दी थी।हालिया दिनों जब छांगुर बाबा केस सुर्खियों में आया तो उसने पुलिस में शिकायत शब्बीर अहमद के खिलाफ धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करा दी।फिलहाल पुलिस ने शब्बीर अहमद को गिरफ्तार कर लिया। इस सबंधं में पुलिस प्रशासन का कोई भी आलाधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

➡️तथ्यों एव बयानों से एक बात तो स्पष्ट है कि आखिर अखंड प्रताप सिंह ने आरटीआई क्यों लगाया? और धमकी क्यों दिया? कुछ तो दोनों के बीच बात बिगडी होगी ऐसा संभव है कि अखंड प्रताप सिंह का बीस लाख रुपया मौलाना डकार गए हों क्योंकि गरीबी और तंगहाली से तंग व्यक्ति कुछ भी कर सकता है और ऐसा ही अखंड प्रताप सिंह ने किया इटवा क्षेत्र में दर्जनों स्कूल कालेज हैं लेकिन एक मात्र कालेज के प्रति क्यों इतना आक्रोशित रहा अखंड प्रताप सिंह? धर्म के आड में नोट बनानें का फार्मूला कही उल्टा तो नहीं पड गया मौलाना को जिससे लेनें के देने पड गये।
➡️सारे तथ्यों से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि दोनों के मध्य फिफ्टी -फिफ्टी का गेम था कि तुम्हारा एग्रीमेंट रहेगा और मिली रकम का आधा आधा ले लिया जाऐगा और पैसा पूरा डकार गए। क्योंकि हजारों बकरों का फोटो भेजकर पैसा मांगाया जाता और लिस्ट भेजी जाती है कि गरीबों में बांट दिया गया लेकिन किसी में नहीं बटता है।
➡️एक मस्जिद की चारो तरफ से फ़ोटो खींचकर चार मस्जिद दिखाया जाता है और चार मस्जिद निर्माण का पैसा विदेशों से मंगाया जाता है‌।
➡️मौलाना सब्बीर की जमीन ज्यादात में जो वृद्धि देखनें को मिली है इसारा करती है कि कही न कही कुछ झोलम झाल है जिसको लोग समझ नहीं पा रहे हैं और मसीहा समझ बैठे है।
➡️ मौलाना सब्बीर द्वारा इंटर कालेज का सफल संचालन किया गया जो काबिले तारीफ है और शिक्षा की ज्योति जलाया गया यह भी प्रशंसनीय है लेकिन अगर कही एक भी काला धब्बा लग जाए तो सारे अच्छे कर्म निरर्थक साबित होंगें।
➡️ कुछ लोगों द्वारा कहा जाता है कि इटवा विधायक द्वारा आवाज नहीं उठाया गया लेकिन वही लोग यह क्यों नहीं कहते कि पूर्व विधायक व सांसद मो.मुकीम ने कितना आवाज उठाया जो लोग ऐसा आरोप लगा रहे हैं वह राजनीति भाषा बोल रहे हैं और कही न कही जावेद मुकीम की विचारधारा से प्रभावित हैं।

 

 


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