सूखे की आहट पर भ्रष्टाचारियों की दस्तक,कोऑपरेटिव सोसाइटी संग्रामपुर में डाली जा रही डकैती विवश करके दबंगई पूर्वक अधिक मूल्य पर किसानों को बेची जा रही खाद डीएम से शिकायत भी हुआ बेअसर
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ब्यूरो रिपोर्ट,इंडिया टाईम्स न्यूज एजेंसी सिद्धार्थ
सिद्धार्थ नगर(27/07/2025)
शासन-प्रशासन को आईना दिखा रहे कोऑपरेटिव सोसाइटी संग्रामपुर के जिम्मेदार सोशल मीडिया और मीडिया में खबर वायरल होने के बावजूद कार्रवाई के नाम पर लीपापोती की जा रही है और किसानों को धमकी के साथ चेतावनी भी दी जा रही है कि अगर खाद लेना है तो अधिक मूल्य देना ही पड़ेगा अन्यथा खाद नहीं मिलेगा और जहां शिकायत करना हैं जाओ हमारा कुछ नहीं होगा किसानों के साथ धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल कर रहें हैं सोसाइटी के जिम्मेदार और शासन-प्रशासन बना मूकदर्शक।
जिला अधिकारी सिद्धार्थ नगर को लिखित शिकायत के माध्यम से पीड़ित विक्रम पुत्र स्व० टीहुल पता- ग्राम चौखड़िया के ग्राम पंचायत संग्रामपुर द्वारा गंभीर आरोप लगाकर जैसा कि उनके साथ घटित हुआ था फरियाद किया ओर जांच कराकर कार्रवाई की मांग किया गया लेकिन भ्रष्टाचार का दीमक जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र को भी निगल गया है और आरोपीगण शिकायत की भी अवहेलना करके भ्रष्टाचार की रफ्तार तेज करते दिख रहे हैं किंचित मात्र भी नहीं दिख रहा असर और अब शिकायतकर्ता को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जैसा कि आरोपियों द्वारा कहा गया था कि जहां जाना है जाओ हमारा कुछ नहीं होगा वह सही प्रतीत हो रहा है। उच्च स्तरीय क्रियाकलापों से एक बात तो सिद्ध हो गया है कि भ्रष्टाचार उच्च स्तरीय है और अधीनस्थों को संरक्षण दिया जा रहा है।
संग्रामपुर में कोऑपरेटिव सोसाइटी के जिम्मेदारों द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य लेकर उर्वरक वितरण किया जा रहा है और शिकायत करने पर धमकी भरी भाष का इस्तेमाल किया जा रहा है और खाद न देने की बात भी कही जाती है। प्राप्त सूचना और लिखित शिकायती पत्र के अनुसार अधिक मूल्य सहित रुयपे 290-300 प्रति बोरी लेकर बिक्री की जा रही है। पीड़ित के द्वारा जब इस का विरोध किया गया तो सम्बधित जिम्मेदार अधिकारियों सचिव अशफाक अहमद व एडीओ सभाजीत यादव के द्वारा उर्वरक मंगाने में रुपये 20000-25000/- अधिक घूस विभाग को देने की बात कही गई और वही अधिक मूल्य किसानों से वसूला जा रहा है ऐसी बात भी कही गई है। उपरोक्त दोनों जिम्मेदारों द्वारा कहा गया कि अधिक मूल्य देकर खाद लाया गया है तो उसकी वसूली आप सभी से ही की जाएगी हम अपनें जेब से थोडे लगाएंगे रूप में दिए गए हैं तो वह रुपया आप सभी से ही वसूला जाएगा समझ मे आये तो लो नही तो अपना आधार उठाओ और घर जाओ ऐसी भाषा का इस्तेमाल किसानों के साथ किया जा रहा है जो शासन प्रशासन की कलई खोल रहा है।
सूखे की आहट दिख रही है और दूसरी तरफ लूट की दस्तक है तो आखिर किसान जाए कहा ऐसे ही परिस्थितियों में विवश होकर किसान आत्महत्याएं करते हैं और लोग कुछ समय के लिए सोचते हैं और फिर भूल जाते हैं। जिलाधिकारी से शिकायत के बाद भी क्रियाकलाप में परिवर्तन न होना कही न कही जिलाधिकारी के असर को बयां करता है और एक तरफ जिलाधिकारी के प्रति लोगों में एक विश्वास है कि वहां फरियादियों की बात सुनी जाती है और जब सरकारी विभागों की बात आती है त़ सुनवाई और कार्रवाई बेअसल क्यों हो जाती है समझ से परे।
पीड़ित फरियादी किसान को मजबूर होकर 3 बोरी यूरिया 900 रु देकर लेना पड़ा इसका प्रमुख कारण हैं कि फसल खेतों को बर्बाद होता कोई किसान देख नही सकता और हर कीमत चुका कर खेतों में खाद की बुआई करना है जिससे कि फसल पैदा हो सके लेकिन खाद तो ले लिया कृषक ने लेकिन एक नेक कार्य किया कि लिखित शिकायत दर्ज करा कर पोल खोल दिया यदि निष्पक्ष जांच एवं कार्रवाई हुई तो संभव है कि बेलगाम भ्रष्टाचारियों पर लगाम लग सके।
किसानों की हितैषी बता रही सरकार तो किसानों के प्रति कुछ तो हमदर्द होना चाहिए लेकिन यहां तो परिस्थितियां विपरीत दिखाई पड रही है और एक किसान फरियाद दर फरियाद करता रहा और लीपापोती होता रहा अब इसको क्या कहा जाएगा?आप स्वयं अंदाजा लगा जा सकता है। किसानों के साथ मोसम वैसे भी बेरुखी दिखा रहा हैं और उसपर अधिक मूल्य का बोझ बेरहमी का ही संकेत कर रहा है। किसानों को खाद जैसी वस्तुओं पर भी अधिक मूल्य देना पडता है जिसकी नैतिक जिम्मेदारी सरकार की हैं लेकिन उसपर भी यदि सरकार खरी नहीं उतर रही है तो इसे जनता के साथ धोखा ही कहा जा सकता है।
जिलाधिकारी एक ईमानदार अधिकारी की छवि जनता में बना चुके हैं और इसी कारण जनता दर्शन में जनता की भारी भीड दिखाई पडती है लेकिन किसानों के शिकार पर लीपापोती जिलाधिकारी कार्यालय को संदेह के घेरे मे खडा कर रही है।यदि समय रहते त्वरित कार्रवाई कर दी जाती तो परिस्थितियां बद से बदतर नही होती ऐसी शिकायतों पर लीपापोती ही बढा रहा है भ्रष्टाचारियों का मनोबल इसी लिए उपरोक्त दोनों द्वारा जनता से कहा गया है कि “जहां जाना है जाओ हमारा कुछ नहीं होगा,घूस देकर उठान किए है तो उसकी वसूली होगी”एक छोटी से चिंगारी पूरा आसियान खाक कर देती है और इसी तरह बडे स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार को सूचना के बावजूद नही रोका जा रहा है तो इसको यही कहा जाएगा कि हमाम में सब नंगे है इसीलिए हर जांच स्तर पर निष्पक्षता और सख्त कार्रवाई की कमी दिखाई पडती है।