भाजपा के ‘अरविंद’ का राजनीतिक सफरनामा: सियासत के मैदान में भी गिरि ने खूब दागे गोल, पांचवीं बार बने थे विधायक
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ITN न्यूज एजेंसी, गोला गोकर्णनाथ (लखीमपुर खीरी)
अरविंद गिरि जिस जाति बिरादरी से आते थे, उसका अपना कोई खास जनाधार नहीं है। बावजूद इसके 1988 में ग्राम पंचायत लालहापर की प्रधानी से लेकर वर्ष 2022 में भाजपा के टिकट पर पुन: जीत दर्ज की और पांचवीं बार विधायक बने।
विस्तार
छात्र राजनीति से अपने सियासी करियर को धार देने वाले अरविंद गिरि (64) पुत्र स्व. राजेंद्र गिरि की राजनीति से इतर फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर भी पहचान रही है। नगर के पब्लिक इंटर कॉलेज के मैदान से जहां उन्होंने फुटबॉल को जोरदार किक लगाई तो वहीं राजनीति के मैदान में उन्होंने अपनी जबरदस्त सफल पारी खेली। उनकी सबसे बड़ी खासियत सबको साथ लेकर चलने की थी।
यही कारण है कि जिस जाति बिरादरी से अरविंद गिरि आते थे, उसका अपना कोई खास जनाधार नहीं है। बावजूद इसके 1988 में ग्राम पंचायत लालहापर की प्रधानी से लेकर वर्ष 2022 में भाजपा के टिकट पर पुन: जीत दर्ज की और पांचवीं बार विधायक बने। अपनी इसी खासियत के चलते उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के 34 साल का सफर तय किया।
अरविंद गिरि का राजनीतिक सफरनामा
1981- केन ग्रोवर्स नेहरू पीजी कॉलेज के छात्र संघ के मंत्री रहे।
1988- ग्राम पंचायत लालहापुर के ग्राम प्रधान बने।
1993-94- तत्कालीन श्रीनगर क्षेत्र के विधायक कुंवर धीरेंद्र बहादुर सिंह ने सपा की सदस्यता दिलाई और नगर अध्यक्ष बनाया।
1995 : रिकार्ड मतों से चुनाव जीतकर गोला नगर पालिकाध्यक्ष बने
1996 : 13 वीं विधान सभा में सपा के टिकट पर पहली बार विधायक बने।
2000 : दोबारा पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष
2002 : सपा के टिकट पर 14वीं विधान सभा के दूसरी बार विधायक बने
2005 : सपा शासनकाल में अनुध वधू अनीता गिरि को जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित कराया
2007 : नगर पालिका परिषद गोला के अध्यक्ष पद पर पत्नी सुधा गिरि को जिताया
2007 : तीसरी बार 15वीं विधान सभा में विधायक बने
2022 मार्च: 18वीं विधान सभा के लिए भाजपा से पांचवीं बार विधायक बने.