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बलरामपुर : उतरौला में करबला के शहीदों की याद में आयोजित हुई शब-ए-दारी और मजलिस

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Balrampur UP | 24 july 2025

बलरामपुर (उतरौला)। मोहर्रम के पवित्र महीने में करबला की शहादत की याद में उतरौला के सुभाष नगर मोहल्ले स्थित बड़ा इमामबाड़ा आबिदा बेगम में दिनांक 21 जुलाई (25 मोहर्रम) को रात 8:30 बजे से शब-ए-दारी और मजलिस का आयोजन श्रद्धा और ग़मगीन माहौल में किया गया।

इस वार्षिक शोक सभा का आयोजन सफ़ीर-ए-अज़ा अमीर हसन आमिर द्वारा किया गया, जो वर्षों से इसे पूरी अकीदत और भव्यता के साथ संपन्न कराते आ रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन जनाब अनीस जै़सी ने किया, जबकि पेशख़ानी फ़रहान बनारसी, मुनव्वर जलालपुरी और मशहद जलालपुरी ने की। मजलिस को प्रसिद्ध आलिम मौलाना मिर्ज़ा यासूब अब्बास क़िब्ला ने खिताब किया। उन्होंने करबला की त्रासदी और उसके आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व पर विस्तार से रोशनी डाली।

मजलिस के बाद बीमार-ए-करबला इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) की याद में शबीह-ए-ताबूत की ज़ियारत कराई गई, जो करबला के बाद की उनकी पीड़ा और इबादतों की मिसाल है। इस शोभायात्रा में अंजुमन अब्बासिया सुरौली (सुल्तानपुर), अंजुमन हैदरी (हल्लौर), अंजुमन मासूमिया (जलालपुर), अंजुमन पैग़ाम-ए-हुसैनी अहले सुन्नत (हलधरमऊ गोंडा) और अंजुमन हुसैनिया (अमया देवरिया) के मातमी दस्तों ने नौहा और मातम कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

नौहाख़्वानी बना ग़म का मरकज़
कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया जब मशहूर नौहा खां राजू पांडे और ऋषि पांडे (गाज़ीपुर), ज़हीर अब्बास साहब (बॉम्बे) और रेहान जलालपुरी ने अपनी मार्मिक आवाज़ में करबला के मंजर को ज़िंदा कर दिया। उनकी पेशकश ने उपस्थित जनसमूह को अश्कबार कर दिया।

मदीना की मिट्टी की ज़ियारत
कार्यक्रम का समापन उस मिट्टी की ज़ियारत से हुआ जो मदीना से लाई गई थी—जहां इमाम सज्जाद (अ.स.) ने करबला की त्रासदी के बाद 34 वर्षों तक ग़म में आंसू बहाए। यह मिट्टी उन सभी शोकाकुल दिलों को इमाम की तकलीफ का एहसास कराने वाली साबित हुई।

शुक्रिया और आभार
आयोजक अमीर हसन आमिर ने सभी मोमिनीन और अकीदतमंदों का समय की पाबंदी के साथ आयोजन में शामिल होने के लिए दिल से आभार जताया और दुआ की कि यह सिलसिला इसी श्रद्धा और सम्मान के साथ जारी रहे।


 


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