गोंडा : बिना डिग्री के इलाज, प्रशासन की खामोशी बनी जानलेवा!
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रिपोर्ट- योगेन्द्र त्रिपाठी
गोंडा: जिले भर में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार ने ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मजाक बना दिया है। इलाज के नाम पर जहर परोस रहे इन कथित डॉक्टरों की लापरवाही हर साल हजारों जिंदगियां लील रही है, लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।
ताजा मामला गोंडा सालपुर मोहम्मद अकरम का है, जो खुद को डॉक्टर बताकर खुलेआम इलाज कर रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, न तो उन्होंने कभी मेडिकल कॉलेज देखा, न ही किसी पंजीकृत संस्थान से एलोपैथिक या आयुष की डिग्री प्राप्त की है। इसके बावजूद वे इंजेक्शन लगाते हैं, एंटीबायोटिक्स तक देते हैं और गंभीर बीमारियों का इलाज करने का दावा भी करते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अकरम जैसे कई फर्जी डॉक्टर गांवों में सक्रिय हैं, जिन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। इनमें से कई तो बच्चों और गर्भवती महिलाओं का भी इलाज कर रहे हैं, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है। अक्सर झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से मामूली बीमारी भी जानलेवा साबित हो जाती है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति होती है। न कोई सख्त जांच, न कोई गिरफ्तारी। सवाल उठता है — क्या किसी की मौत के बाद ही प्रशासन जागेगा?
समाज का सवाल प्रशासन से:
क्या बिना डिग्री वाले लोगों को इलाज करने की खुली छूट है?
आक्या ग्रामीण जनता की जान की कोई कीमत नहीं?
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ तत्काल सख्त अभियान चलाया जाए, वरना यह ‘इलाज’ गांवों के लिए महामारी बन सकता है।
विभाग की मेहरबानी या मजबूरी
सीएमओ गोंडा का कहना है कि मीडिया द्वारा जानकारी मिली जल्द ही जांच करवाकर ऐसे डॉक्टरों पर लगाम लगाया जायेगा।