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ग्राम प्रधान दुलारा को उच्च न्यायालय के आदेश पर पद से किया गया अयोग्य घोषित

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लखनऊ, 11 मार्च 2025


उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 के प्रावधानों के तहत ग्राम पंचायत खानपुर की निर्वाचित प्रधान श्रीमती दुलारा पत्नी रामकेवल को उनके पद से अयोग्य घोषित किया गया है। माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ ने रिट याचिका संख्या CNo-10451/2024 (अमरजीत सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य) पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

निवास स्थान के आधार पर सदस्यता समाप्त:

श्रीमती दुलारा, ग्राम पंचायत खानपुर की निर्वाचित ग्राम प्रधान थीं। लेकिन, जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उनका निवास स्थान अब ग्राम पंचायत खानपुर में नहीं रहा। वर्ष 2022 में नगर पंचायत सुबेहा के विस्तार के तहत उनका निवास स्थान सराय चन्देल, वार्ड संख्या-2 में सम्मिलित हो चुका है। उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा-6क-9 के अनुसार, एक व्यक्ति जो नगर पंचायत या किसी अन्य निर्वाचक क्षेत्र में पंजीकृत है, वह ग्राम पंचायत में निर्वाचक नामावली का हिस्सा नहीं हो सकता।

 

जांच और स्पष्टीकरण की प्रक्रिया:

श्रीमती दुलारा को 31 जनवरी 2025 को नोटिस जारी कर 7 फरवरी 2025 को अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। उन्होंने समय पर अपना उत्तर प्रस्तुत किया, लेकिन उनके निवास स्थान नगर पंचायत सुबेहा में पंजीकृत होने के कारण ग्राम पंचायत खानपुर के निर्वाचक क्षेत्र से उनका नाम हटा दिया गया।

कानूनी और प्रशासनिक निर्देश:

तहसीलदार हैदरगढ़ ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करते हुए यह पुष्टि की कि श्रीमती दुलारा का निवास स्थान नगर पंचायत सुबेहा के वार्ड संख्या-2 में है। इसके आधार पर उन्हें ग्राम प्रधान खानपुर के पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया।

आदेश का कार्यान्वयन:

जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि इस आदेश की सूचना श्रीमती दुलारा को दी जाए और ग्राम पंचायत कार्यालय में सार्वजनिक रूप से चस्पा किया जाए। साथ ही, इसे रिकॉर्ड में दर्ज करते हुए आगे की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।

अधिनियम का पालन अनिवार्य

यह मामला पंचायत राज अधिनियम के सख्त प्रावधानों और निर्वाचक क्षेत्र की योग्यता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि निर्वाचित प्रतिनिधि संबंधित क्षेत्र के निवासी हों और कानून के दायरे में काम करें।

यह निर्णय पंचायत राज व्यवस्था में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रशासन की यह कार्रवाई आगे भी पंचायत प्रतिनिधियों की पात्रता और प्रक्रिया की ईमानदारी को बनाए रखने में सहायक होगी।


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