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पत्रकार सुरक्षा के दावे खोखले, आखिर पत्रकारो पर कब तक होता रहेगा अत्याचार




साक्ष्यों के आधार पर पीड़ित पत्रकार को खबर लिखने पर दी जा रही है महिला उत्पीड़न में फँसवाने की खुली धमकी |

 

पत्रकार को फोन पर धमकी देने वाले रिकार्डिंग को एसपी बलरामपुर को देकर कराया गया अवगत |


रिपोर्ट संतोष वर्मा

बलरामपुर : भले ही प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ पत्रकारों के सम्मान हेतु जितने भी दिशा निर्देश जारी करे अथवा पत्रकारों का सम्मान करने हेतु अपने अधिनस्थो को दिशा निर्देश देते रहे. मगर उत्तर प्रदेश में पत्रकारों की सुरक्षा की स्थिति जस की तस बनी हुई है. समय समय पर पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार की जानकारी आती रही है।

जब जमीनी सतह पर इसकी जांच की जाती है तो सारे आदेश और दावे सिर्फ सरकारी फाइलों तक सीमित दिखाई देते हैं और खबरों के संकलन करने वाले पत्रकारों पर आए दिन हमले होना अब आम सी बात हो गई है पत्रकार हमेशा भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों, अपराधियों और दबंगो के निशाने पर रहते हैं और उन पर लगातार हमले की बात भी सामने आती रहती है। ऐसा ही एक मामला तुलसीपुर के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक रमेश गुप्ता के मामले को लेकर आया जहां पत्रकार रमेश गुप्ता के द्वारा स्थानीय शक्तिपीठ देवीपाटन परिसर में स्थित वाहन पार्किंग अड्डे की खबर चलाने को लेकर हुआ जहां पर ठेकेदारों के द्वारा श्रद्धालुओं और स्थानीय ग्रामीणों के साथ वसूली और अभद्र व्यवहार के साथ उनके वाहनों में तोड़फोड़ करने की बात लिखी गई थी जिसको लेकर पहले तो ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा फोन से पत्रकार को खबर न चलाने और शोसल मीडिया पर वायरल खबर को डीलिट किये जाने और आकर मिलने की बात की जाती है और जब पत्रकार उनकी धमकी में नहीं आता और खबरें बराबर प्रकाशित करता रहता है तब पत्रकार को धोखे से बुलाकर जानलेवा हमला करने की बात सामने आई है। उपरोक्त प्रकरण में पत्रकार को रमवापुर पेट्रोल पंप पर बुलाया जाता है और बताया जाता है मेरे किसी रिश्तेदार का कुछ काम है आकर उसको करवा दीजिए जिसको लेकर जब उक्त पत्रकार बताए हुए स्थान पर पहुंचता है तो उसे वहां से वापस कर दिया जाता है और फिर जब पत्रकार अपनी बाइक से वापस आने लगता है तभी पत्रकार को फोन किया जाता है कि कहां गए इसके बाद 100 मीटर की दूरी पर खड़े होकर रमेश गुप्त रुकते है तो पीछे से हाथ के इशारे से कहा जाता है कि मेरे रिश्तदार आ गए हैं रमेश गुप्ता कहते हैं कि  जब मैं अपनी बाइक से रामवापुर तिराहे के पास पहुंचता हूं तभी मुझे बाइक सवार हमलावर के द्वारा रोका जाता है और कहा जाता है कि मैं रिश्तेदार हूं और मेरे ऊपर जान लेवा हमला किया जाता है। संयोग से वहां राहगीरों के रुकने पर हमलावर छोड़कर भाग जाते हैं। जिस के बाद पत्रकार किसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तुलसीपुर पहुंचता है और अपना इलाज कराने लगता है। इलाज के उपरांत थाना तुलसीपुर में अशोक सिंह से कार्रवाई करने की मांग की जाती है जिस पर उनके द्वारा पहले तो रंग डाले जाने की बात की जाती है और बाद में मामला जब काफी वायरल हो जाता है और इस खबर की जानकारी क्षेत्राधिकारी तुलसीपुर को होती है तब जाकर मुकदमा पंजीकृत किया जाता है जिसमें तीन अभियुक्त जिसमें 2 नामजद और एक अज्ञात के खिलाफ 323, 504 और 506 की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होता है। उसके उपरांत इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की गई है और आपराध करने वाले अभियुक्त खुले आम घूम रहे हैं फिर प्रार्थी आदर्श प्रेस क्लब के नेतृत्व में एसपी बलरामपुर को सामूहिक तौर पर एक ज्ञापन सौंप कर न्याय दिलवाने और कार्रवाई करने की मांग करता हैं। जिसकी खबर प्रकाशित करने पर सहयोगी पत्रकार मसूद अनवर पर भी दबाव बनाने के लिए संजय पासवान के द्वारा  फोन किया जाता है और तमाम धमकी देते हुए महिला उत्पीड़न का मुकदमा दोनों पर दर्ज करवाने की बात की जाती है। वही पत्रकार पर हुए जानलेवा हमले को योजना बद्ध ढंग से भ्रमित करने के उद्देश्य से मामले में नया मोड़ दिया जा रहा है जिसमें यह आरोप लगाया जा रहा है कि महिला से छेड़खानी को लेकर मारपीट हुई है जिसमें किसी अज्ञात महिला को आगे कर महिला उत्पीड़न का फर्जी केस दर्ज करवाने की बात कही गई है जिसकी रिकॉर्डिंग पीड़ित पत्रकारों के पास साक्ष्य के रूप में मौजूद है और एसपी बलरामपुर को सौंप दी गई है और शिकायती पत्र के साथ अवगत कराया गया है कि यह संगठित और शातिर लोग हैं जो कभी भी पीड़ित पत्रकारों पर हमला करवा सकते हैं या स्थानीय पुलिस के साथ साठगांठ कर झूठे मुकदमे में फसाने की साजिश कर सकते हैं जिसको लेकर एसपी बलरामपुर को पूरे मामले से अवगत कराया गया है अगर भविष्य में कोई घटना होती है तो इसकी सारी जिम्मेदारी संजय पासवान और उनकी टीम की होगी ।


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