सिद्धार्थनगर के मनीष का केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में कनिष्ठ अभियंता पद पर चयन,जनपद वासियों में खुशी की लहर मिल रही बधाईयां
1 min read
संघर्ष,समर्पण और सफलता की अद्वितीय गाथा-अरहम सिद्दीकी(गुरु)
गुरुजनों एवं परिजनों को समर्पित यह सफलता-मनीष
इंडिया टाइम्स न्यूज एजेंसी,ब्यूरो रिपोर्ट
सिद्धार्थनगर(04फरवरी2025)।”संघर्ष जितना दुष्कर होगा,सफलता उतनी ही गौरवशाली होगी।” इस उक्ति को सिद्धार्थनगर जनपद के खुरहुरिया गांव निवासी मनीष ने अपने अथक परिश्रम, अडिग संकल्प और अटूट धैर्य से चरितार्थ कर दिखाया। कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा 2024 में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 38 अर्जित कर न केवल अपने परिवार, बल्कि समूचे क्षेत्र का मस्तक गर्व से ऊँचा कर दिया।
इस अत्यंत प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा में सिविल, इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल अभियंत्रण शाखाओं की 1701 रिक्तियों हेतु लगभग 5 लाख परीक्षार्थियों ने भाग लिया था। दुरूह चयन प्रक्रिया में मनीष ने प्रीलिम्स एवं मेन्स दोनों चरणों को उच्चतम कौशल, अनुशासन और आत्मसंयम के साथ उत्तीर्ण कर यह अलौकिक उपलब्धि प्राप्त की। उनकी सफलता केवल व्यक्तिगत विजय नहीं, अपितु समस्त संघर्षशील युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है।
संघर्ष से स्वर्णिम सफलता तक का अद्वितीय पथ
मनीष के पिता राम भवन एक कृषक हैं,जबकि माता जनक दुलारी एक आदर्श गृहिणी हैं।सीमित संसाधनों में भी माता-पिता ने अपने पुत्र के सपनों को साकार करने हेतु हर संभव प्रयास किया। राजकीय पॉलीटेक्निक, गोंडा से 2020 में मैकेनिकल प्रोडक्शन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त कर उन्होंने कठिनतम प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर कदम बढ़ाया। मनीष की कामयाबी पर गुरु अरहम सिद्दीकी ने छात्र की मेहनत और कठिन परिश्रम की सराहना की।
परंतु यह मार्ग सरल नहीं था। 2022 और 2023 में प्रारंभिक परीक्षा (प्री) में ही असफलता मिलने के कारण उन्हें कई बार मानसिक वेदना से गुजरना पड़ा। बारंबार अल्प अंकों से असफलता हाथ लगने के उपरांत भी उन्होंने धैर्य एवं संकल्प का परिचय दिया। निरंतर आत्ममंथन, अनुशासन और कठोर परिश्रम के बल पर इस बार उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर 38वाँ स्थान प्राप्त कर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) में कनिष्ठ अभियंता पद अर्जित किया।
गुरुजनों एवं परिजनों को समर्पित यह सफलता
मनीष अपनी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय अपने मार्गदर्शकों—देवेश, हेमंत,शशि भूषण सिंह एवं निर्भय सिंह को प्रदान करते हैं,जिनकी अमूल्य शिक्षाओं एवं प्रोत्साहन ने उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी संकल्पबद्ध बनाए रखा।
उनके इस चयन से उनके परिवार में हर्षोल्लास की लहर दौड़ पड़ी है।उनकी चार बहनें—खुशबू,कन्यावती,सुमन और रूमन तथा छोटा भाई रजनीश इस उपलब्धि पर गर्व से अभिभूत हैं।
गदगद माता-पिता ने साझा की अपनी भावनाएँ
मनीष के पिता राम भवन ने भावुक होते हुए कहा,”हमारे पास देने के लिए अधिक संसाधन नहीं थे,परंतु हमारे बेटे की मेहनत और संकल्पशक्ति ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची लगन के आगे हर बाधा छोटी पड़ जाती है।” वहीं, माता जनक दुलारी ने अश्रुपूरित नेत्रों से गर्व व्यक्त करते हुए कहा, “बेटे ने हमारी वर्षों की तपस्या को सफल कर दिया। अब हम समाज में सिर ऊँचा करके चल सकते हैं।”
संघर्षशील युवाओं हेतु संदेश—परिश्रम का कोई विकल्प नहीं
मनीष की सफलता उन समस्त युवाओं के लिए एक प्रेरणापुंज है, जो कठिन परिस्थितियों से जूझते हुए अपने लक्ष्य के प्रति संकल्पबद्ध हैं। यह सिद्ध करता है कि धैर्य, अनुशासन, अपराजेय आत्मबल और सतत परिश्रम से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। उनके द्वारा अर्जित यह गौरवपूर्ण स्थान यह उद्घोष करता है कि सही दिशा में किया गया श्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता और प्रत्येक असफलता केवल एक नए सशक्त प्रयास की भूमिका होती है।
मनीष की संघर्षगाथा उन सभी युवाओं को संदेश देती है कि आत्मविश्वास, तपस्या और दृढ़ इच्छाशक्ति ही विजय का मूल मंत्र है।