नमस्कार 🙏 हमारे न्यूज पोर्टल - मे आपका स्वागत हैं ,यहाँ आपको हमेशा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे +91 9454434926 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें

ITN Hindi

Hindi news, हिंदी न्यूज़ , Hindi Samachar, National news,State news, City news, ITN hindi

निजी स्‍कूल बनते जा रहे हैं मुनाफाखोरी व लूट के अड्डे

1 min read




नहीं मिलती समय पर जन सूचना रिपोर्ट


बलरामपुर : भारत सरकार ने जन सूचना अधिकार का विधेयक लाकर अनिवार्य किया कि कोई भी नागरिक जनहित में आरटीआई लगाकर सूचना प्राप्त कर सकता है। इंडिया टाइम्स समाचार एजेंसी के पत्रकार कुतबुद्दीन सिद्दीकी ने एचआरए इंटर कॉलेज उतरौला से जन सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत एक माह पूर्व सूचना मांगी थी लेकिन निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी अभी तक उन्हें कोई सूचना नहीं मिली । बल्कि आवेदक को गुमराह करने के लिए उपरोक्त अधिनियम की गाइडलाइन भेज दी गई । खैर उपरोक्त मामले में अपील दायर कर दी गई है। कुतबुद्दीन सिद्दीकी कहते हैं कि कुछ शिक्षा माफिया अभिभावकों को प्रवेश शुल्क परीक्षा/टेस्ट शुल्क, गतिविधि शुल्क, प्रोसेसिंग फीस, रजिस्ट्रेशन फीस, एलुमिनि फंड, कंप्यूटर फीस, बिल्डिंग फंड, कॉशन मनी, एनुअल तथा बस फीस जैसे कई तरह के शुल्क हैं, जो वसूले जाते हैं। निजी स्कूल की मनमानी इस हद तक है कि एडमिशन के समय अभिभावकों को बुक स्टोर्स और यूनिफार्म की दुकान का विजिटिंग कार्ड देकर वहीं से किताबें, यूनिफार्म और स्टेशनरी खरीदने को मजबूर किया जाता है। स्कूलों की इन दुकानों से कमीशन सेटिंग होती है। ये दुकानें अभिभावकों से मनमाना दाम वसूलती हैं। इसी तरह से सिलेबस को लेकर भी गोरखधंधा चलता है। कई स्कूल संचालक एक ही क्लास की किताब हर साल बदलते हैं, हालांकि सेलेबस वही रहता है, लेकिन इस काम में उनकी और प्रकाशकों की मिलीभगत होती है, इसलिए एक प्रकाशक किताब में जो चैप्टर आगे रहता है, दूसरा उसे बीच में कर देता है। इन सबके बावजूद ज्यादातर सूबों में निजी स्कूलों में फीस के निर्धारण के लिए फीस नियामक नहीं बने हैं या सिर्फ कागजों में हैं। निजी स्कूलों में कितनी फीस वृद्धि हो या कितनी फीस रखी जाए, इस संबंध में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं हैं और जहां हैं, वहां भी इसका पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए कई स्कूल से हर साल अपने फीस में 10 से 20 फीसदी तक की वृद्धि कर देते हैं।लंबे-चौड़े दावों के बावजूद ज्यादातर निजी स्कूल शिक्षा प्रणाली के मानक नियमों को ताख पर रखकर चलाए जा रहे हैं। प्राइवेट स्कूल लूट का अड्डा बनते चले जा रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा कि हमारा उद्देश्य शिक्षा माफियाओं को बेनकाब करना है अगर समय पर सूचनाएं नहीं दी गई तो जनहित में मुझे कड़ा कदम उठाना पड़ेगा |

ओमी तिवारी/इंडिया टाइम्स 


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे.

Donate Now

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »