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दुआ ताबीज करने वालों का फल फूल रहा है गोरख धंधा

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रिपोर्ट विकास श्रीवास्तव | इंडिया टाइम्स समाचार एजेंसी | बलरामपुर यूपी | 28 सितंबर 2022 |


झाड़ फूंक व दुआ के कुछ ‘ठेकेदार’ मुसीबत में फंसे लोगों को बना रहे हैं अपना निशाना।

♦शासन प्रशासन को संज्ञान में लेने की जरूरत।

बलरामपुर यूपी : आज के इस आधुनिक के दौर में भी दुआ के कुछ ‘ठेकेदार’ मुसीबत में फंसे लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। बेरोजगारी, बीमारी, आर्थिक, मानसिक, शारीरिक एवं कारोबारी दिक्कतों से परेशान लोगों को अपनी दुआ से ठीक करने का झांसा देकर ठगने का काम कर रहे हैं। दुआ की फीस भी उसी तरह वसूली जाती है जैसे किसी डॉक्टर को दिखाने से पहले मरीज से रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती है। कुछ ने तो इसके लिए बाकायदा आफिस बना रखा है। कोई ताबीज देकर तो कोई पानी फूंक कर परेशानियों को हल करने का दावा कर रहा है।

दुआ ताबीज करने वाले ठेकेदारों का इलाके भर में नेटवर्क है जो ऐसे परेशान और नासमझ लोगों को फंसाते हैं। इनके शिकार हुए कुछ मामले प्रकाश में आए हैं। रामपुर ग्रंट गांव की 24 वर्षीय लड़की की तबीयत अचानक खराब हो गई। रिश्तेदारों ने एक शख्स को सादुल्लाह नगर से बुला लिया। लड़की को देखने के बाद उस शख्स ने कहा कि इस पर किसी ‘बुरी बला’ का साया है। ठीक होने में कम से कम छह माह लगेंगे। इसके लिए पांच सौ रुपये फीस भी ली। दो दिन बाद लड़की की मां के पास उसका फोन आया कि घबराने की बात नहीं है उस साये को कब्जे में कर लिया गया है। साये को ठिकाने लगाने के लिए उसने सात हजार रुपये की मांग की। इस बीच लड़की की तबीयत फिर खराब हो गई तो उसे एक न्यूरो सर्जन के पास लखनऊ में दिखाया गया। पता चला कि उसके सिर में चोट लगी है, जिसकी वजह से वह बार-बार बीमार पड़ रही है। इसी तरह धुसवा की एक महिला, लड़की की शादी न लगने की वजह से परेशान होकर एक तांत्रिक से मिली। खुद को रुहानी दुनिया का बादशाह कहने वाले शख्स ने कहा कि वह इस समस्या का हल बहुत जल्दी कर देगा। इसके लिए काले मुर्गे की खून की जरूरत है, क्योंकि इसी से कागज पर दुआ लिखी जाएगी। महिला का आरोप है कि उसने पिछले एक साल में 8 हजार रुपये से ज्यादा वसूल लिए। वह शर्म से किसी से इस बारे में कुछ कह भी नहीं पा रही है। कुछ ऐसा ही मामला बलरामपुर के नूर मोहम्मद वारसी का है। बकौल नूर मोहम्मद की मां अक्सर बीमार रहती थीं। डॉक्टरों को दिखाने से आराम नहीं मिला तो कई ऐसे लोगों से मिला जो दुआ ताबीज का काम करते थे। मां ठीक तो नहीं हुई अलबत्ता पिछले चार सालों में इस काम में तकरीबन 30 हजार रुपये लुटा जा चुका है।

दवा‌ दुआ से शिफा के नाम पर काम करने वाले नसीर अहमद उर्फ बिहारी बाबा 20 साल पहले बिहार से सादुल्लाह नगर आये थे लेकिन अब दुआ ताबीज के नाम पर मशहूर हो चुके हैं।

सरकारी मदरसे में पढ़ाने वाले मौलाना मुशाहिद रजा के बारे में जब जानकारी ली गई तो लोगों का कहना था ये भी दुआ ताबीज के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं । इनकी फीस भी दो हजार से शुरू होती है।

अचलपुर घाट में शेष राम वर्मा उर्फ शेषे बाबा पहले पीओपी का काम करते थे जो आठवीं पास हैं लेकिन अब बाबा बनकर जनता से मलाई काट रहे हैं।

रसूलपुर में यह काम कर रहे हिदायतुल्लाह का कहना है कि इस पेशे में 90 फीसद लोग सिर्फ ठगी करते हैं। वह लोगों की परेशानिया दूर करने का दावा नहीं करते बल्कि कोशिश करते हैं। ऐसे बहुत से खुलासे अभी होने बाकी हैं जो आगे आपको देखने को मिलेंगे।


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