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ढेवरुआ पुलिस दिखा रही नारी सशक्तिकरण को आईना, महीनों बाद भी अपहरणकर्ता व आपह्ता का कोई सुराग नहीं।एफआईआर दर्ज लेकिन लीपापोती का शिकार, पीड़िता लगा रही दफ्तरों का चक्कर भी हुआ बेअसर

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➡️बार-बार शिकायतकर्ता कपूरा पत्नी सहतराम को धमकी गाली मिल रही है लेकिन सूचना के बावजूद थाना ढेवरुआ पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं।

➡️आपह्ता को जान से मारने की भी धमकी दी गई लेकिन शिकायत व सूचना के बावजूद थाना ढेवरुआ पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं।
➡️ सुलह की मिल रही धमकियां नहीं करने पर जान-माल की धमकी और लडकी को भी मार डालनें की मिल चुकी है धमकियों पर थाना ढेवरुआ पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं।

ब्यूरो रिपोर्ट,इंडिया टाईम्स न्यूज एजेंसी
सिद्धार्थनगर(04/10/2025)
ढेवरुआ थानांतर्गत एक ग्राम की नाबालिग(17 वर्ष) का अपहरण हो गया था पीड़िता कपुरा के शिकायती पत्र पर ढेवरुआ पुलिस द्वारा 136/2025 अंतर्गत धारा 137(2),87 बीएनएस घटना दिनांक 24/08/2025 के संबंध में दर्ज किया लेकिन वरामदगी अभी तक नहीं संभव हुआ। जनपद में ऐसे अनेकों मामले हैं जो दर्ज एफआईआर की शोभा बढा रहे हैं लेकिन अभी तक वरामदगी नही हुआ। हाईटेक के तमगे दिखाती यूपी पुलिस असफलता का तमगा दिखा रही है।

पीडिता द्वारा अपनी बच्ची को वरामदगी हेतु फरियाद दर फरियाद किया जाता रहा लेकिन कोई असर नहीं हुआ। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ नगर भी नहीं दिला पा रहे हैं न्याय उन्हें भी पुलिस द्वारा गुमराह कर दिया जा रहा है।ऐसे गंभीर प्रकरणों में तत्काल वरामदगी सुनिश्चित होनी चाहिए जिससे कि जीवन मरण का संकट न खडा हो और एक बार जब आपह्ता न्यायालय में बयान दर्ज करा देती तो आशंका दूर हो जाता कि उसका जीवन संकट में है या नहीं।

 

एफआईआर दर्ज करनें के बाद पुलिस की जिम्मेदारी हो जाती है कि शीघ्र अति शीघ्र वरामदगी सुनिश्चित की जाए लेकिन अनेकों मामलों में ऐसा नहीं होता है पहले धन उगाही सुनिश्चित की जाती है और उसी अनुसार कार्रवाई किया जाता है जैसा राशि वैसे कार्रवाई। मनमाफिक चढावा नही तो कार्रवाई का स्तर भी शून्य होगा उसके बाद कहीं भी जाओ कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला है।

न्यायालय,पुलिस अधीक्षक,जिलाधिकारी गुमराहियत के शिकार एक छोटा सा कार्य नाबालिग लडकी की वरामदगी सुनिश्चित नहीं हो पा रही है महीनों बाद तो आखिर क्या आस लगाए फरियादी?सरकार द्वारा नारी सशक्तिकरण का चलाया जा रहा अभियान और ढेवरुआ पुलिस द्वारा पोती जा रही कालिख किया जा रहा कलंकित महकमा हो रहा बदनाम।कुछ ऐसे भ्रष्टाचारी विभागों में बैठे हैं जो दीमक की तरह खोखला करने पर आमादा हैं,पीड़ितों का हर प्रयास असफल कर दिया जा रहा है और उच्च स्तरीय शिकायतों को निष्क्रिय मात्र यह दिखा दिया जाता है कि प्रकरण की विवेचना चल रही है।

पीड़िता से मार-पीट व जान-माल की मिली धमकी और लडकी को भी मारने की मिल चुकी है धमकियां लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।एक एफआईआर दर्ज कराने वाले की सुरक्षा जब सुनिश्चित नहीं हो पा रही है इससे बडा कानून का मजाक और क्या होगा?आरोपी पक्ष काफी सर्कस व दबंग किस्म के व्यक्ति है और पीड़िता को धमकी देते चले आ रहे हैं कि सुलह कर लो नही तो तुम्हारी व लडकी की खैर नहीं यहां तक कहा गया है कि जान से मार दिया गया है।

 

एक गंभीर अपराध में महीनों बीत जाते हैं लेकिन संतोषजनक कार्रवाई नहीं होती है केवल लीपापोती होती रहती है जहां चौबीस घंटे में आपह्ता की वरामदगी सुनिश्चित की जानी चाहिए वहां महीनों बाद भी कोई अता पता नहीं चलता है। भ्रष्टाचार का ऐसा असर हुआ कि सबकुछ तबाह सा हो गया हर मुलाजिम पर शक की सूई दौडती है और कब क्या हो जाए कोई पता नहीं चलता है?

प्रकरण संज्ञान में है, कार्रवाई हेतु आदेशित किया जा चुका है -पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ नगर

प्रकरण संज्ञान में है,उचित विधिक कार्रवाई की जा रही है -पुलिस क्षेत्राधिकारी शोहरतगढ


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