Raheema Hospital : न डिग्री, न पंजीकरण, धड़ल्ले से चल रहा है अस्पताल
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रिपोर्ट : बृजेश जयसवाल
बलरामपुर/उतरौला : प्रदेश सरकार मरीजों को सुविधा देने के लिए जहां सख्ती कर रही है, वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से बिना रजिस्ट्रेशन धड़ल्ले से अस्पताल चल रहे हैं। यहीं वजह है कि जिले में फर्जी अस्पतालों का अवैध धंधा फलफूल रहा है। कुछ का पंजीकरण क्लीनिक के नाम पर है तो कुछ बगैर पंजीकरण के ही चल रहे हैं और सभी जगह ओपीडी के साथ प्रसव भी कराए जाते हैं। इन अस्पताल के बोर्डों पर एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम तो अंकित हैं, लेकिन मरीजों का इलाज झोलाछाप ही करते हैं।
ऐसा ही मामला उतरौला में रहीमा हास्पिटल जच्चा बच्चा केंद्र का प्रकाश मे आया है। जहां महज कुछ पैसो की लालच के लिए नॉर्मल डिलीवरी को भी सिजेरियन कर दिया जा रहा है। बताते चले की उतरौला एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में अवैध रूप से संचालित जच्चा-बच्चा केंद्रों की पूरी तरह भरमार है। इन केंद्रों पर न तो हॉस्पिटल जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं और ना ही मरीजों की भर्ती करने के लिए कोई वैध लाइसेंस है फिर भी इन जच्चा बच्चा केंद्र मे नार्मल प्रसव के साथ-साथ सिजेरियन प्रसव भी पूरी तरह धड़ल्ले से कराया जा रहा है। पिछले कुछ महीने से स्थानी निवासियों के शिकायतों के बावजूद स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह आंख बंद कर धृतराष्ट्र बना हुआ है। जबकि ऐसे फर्जी अस्पतालों में कभी जच्चे की जान तो कभी बच्चे की जान जाने का सिलसिला बीते कई महीनों से शुरू रहा है। वहीं स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यदि इनकी जांच गहराई से कराई जाए तो क्षेत्र में अनेक जच्चा-बच्चा केंद्र ऐसे मिलेगा जहाँ पर अवैध रूप से प्रसव के साथ-साथ नॉर्मल डिलीवरी के नाम पर धन उगाही का लंबा खेल चल रहा है।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ स्थानीय नागरिकों ने बताया कि रहीमा अस्पताल एवं जच्चा बच्चा केंद्र का संचालन अफजाल अंसारी के द्वारा किया जा रहा है जिसके पास कोई बैध डिग्री नहीं है। यह कहीं बाहर से सीख कर आया है इसने कई मरीजों का केस खराब किया है।
किराए पर डिग्री दे रहे डॉक्टर
एमबीबीएस डॉक्टर ही अस्पताल का पंजीकरण करा सकता है। ऐसे में कुछ लोग एमबीबीएस डॉक्टर की डिग्री लगाकर पंजीकरण करा लेते, जिसके बदले में संबंधित डॉक्टर द्वारा अस्पताल संचालक से महीने व साल में धनराशि वसूली की जाती है। जबकि प्रसव आदि कराने के लिए एमबीबीएस महिला डॉक्टर का होना अनिवार्य है। हांलाकि प्रशिक्षित स्टाफ नर्स से भी काम चल सकता है।
रहीमा अस्पताल में पड़ा था छापा, लेकिन नहीं हुई कार्रवाई
अस्पताल में करीब छह माह पहले स्वास्थ्य विभाग ने हास्पिटल में छापा मारा था लेकिन लेनदेन के बल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। रहीमा अस्पताल के अंदर महीने में दो चार ऑपरेशन तो हो ही जाते हैं जहां मरीजों से मोटी रकम वसूली जाती है। केस खराब होने पर उन्हें पैसे देकर रेफर कर दिया जाता है।
पंजीकरण क्लीनिक का, कराते हैं प्रसव
बहुत से अस्पताल ऐसे हैं, जिन्होंने अपना पंजीकरण क्लीनिक का करवा रखा है। वहां पर ओपीडी के साथ- साथ प्रसव भी होता है। हांलाकि कई बार असुरक्षित प्रसव होने के कारण जच्चा बच्चा की मौत के भी कई मामले हो चुके हैं।
आशाओं की भी रहती है संलिप्तता
आशाओं को भले ही गर्भवती महिलाओं की देखरेख करने के लए रखा गया हो, लेनिक मोटे कमीशन के लालच में आशाएं गांव की भोली भाली गर्भवती महिलाओं को बेहतर इलाज का झांसा देकर फर्जी अस्पतालों में ले जाती है, जिसमें उन्हें मोटा कमीशन मिलता है।
यह है अस्पताल का मानक
रजिस्ट्रेशन एमबीबीएस डिग्री धारक डॉक्टर के नाम पर होता है। प्रसव के लिए एमबीबीएस महिला डॉक्टर या फिर प्रशिक्षित स्टाफ नर्स, फायर बिग्रेड और प्रदूषण बोर्ड से एनओसी, बिल्डिंग का नक्शा, किराया नामा या मालिकाना हक, कचरा प्रबंध के लिए अलग अलग रंग की बाल्टी आदि होनी चाहिए। मेडिकल स्टोर होने की स्थित में उसका भी पंजीकरण होना चाहिए।
इन लोगों ने की रहीमा हॉस्पिटल की शिकायत
सीपीसी मीडिया संगठन की तरफ से रहीमा अस्पताल एवं जच्चा बच्चा केंद्र की शिकायत फहीम सिद्दीकी, मोहम्मद आरिफ, रक्षा राम वर्मा, योगेन्द्र त्रिपाठी, सुरेश कुमार पाल आदि लोगों ने जिला अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से इसकी गहराई से जांच करने की मांग की है जिससे क्षेत्र में अवैध रूप से चल रहे इन जच्चा बच्चा केंद्र पर कार्यवाही हो सके। फर्जी तरह से चल रहे जच्चा बच्चा केंद्र पर आम गरीब लोगों का पूरी तरह शोषण हो रहा है। जिसमे कुछ आशा बहुएं भी मिलकर इन जच्चा बच्चा के ऊपर एजेंट के रूप में कार्य कर रही है।